बाल कविता-147
आइ करै छी फेर बहन्ना
चल गै मुनिया चल रौ मुन्ना
आइ करै छी फेर बहन्ना
पोखरि-झाँखरि खूब नहायब
मारब माँछ बनायब सन्ना
पाँच मिनटक छुट्टी माँगब
पाँच बजे धरि घुरि नै आयब
गाछी-बिरछी घूमब-फीरब
रंग-बिरंगक खेल रचायब
देखिहें एतै मजा दुगुन्ना
झटहा मारि टिकुला तोड़ब
किसनभोगक भोग लगायब
जखने कोइली करतै कू-कू
ओकरा संगे हमहुँ गायब
नाचतै बोझा टुटतै जुन्ना
देवलोकसँ परी उतरतै
संगे खेलतै संगे नाचतै
आनतै मधुर-मिठाइ बहुते
जखन ओ घर जाए लागतै
कहबै हमरो घुमा दे चन्ना
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