प्रिय पाहुन, नव अंशु मे अपनेक हार्दिक स्वागत अछि ।

बुधवार, 24 दिसंबर 2014

आइ करै छी फेर बहन्ना


बाल कविता-147
आइ करै छी फेर बहन्ना

चल गै मुनिया चल रौ मुन्ना
आइ करै छी फेर बहन्ना
पोखरि-झाँखरि खूब नहायब
मारब माँछ बनायब सन्ना

पाँच मिनटक छुट्टी माँगब
पाँच बजे धरि घुरि नै आयब
गाछी-बिरछी घूमब-फीरब
रंग-बिरंगक खेल रचायब
देखिहें एतै मजा दुगुन्ना

झटहा मारि टिकुला तोड़ब
किसनभोगक भोग लगायब
जखने कोइली करतै कू-कू
ओकरा संगे हमहुँ गायब
नाचतै बोझा टुटतै जुन्ना

देवलोकसँ परी उतरतै
संगे खेलतै संगे नाचतै
आनतै मधुर-मिठाइ बहुते
जखन ओ घर जाए लागतै
कहबै हमरो घुमा दे चन्ना

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें