![]() |
आबू सेंटा बाबू |
बाल कविता-148
आबू सेंटा बाबू
आबू आबू आबू
आबू सेंटा बाबू
खूब उड़ेने गाड़ि
धरतीपर तऽ आबू
चोकलेटक मोटरी
बिस्कुटक पोटरी
उपरसँ बरसाबू
आबू सेंटा बाबू
गुड़िया लेल गुड़िया
हमरा लेल पुड़िया
कुरकुरे पठाबू
आबू सेंटा बाबू
करब नै झगड़ा
आनब नव कपड़ा
देरी नै लगाबू
आबू सेंटा बाबू
माँगी ई वरदान
दिअ खूब ज्ञान
सौंसे दीप जराबू
आबू सेंटा बाबू
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें