काँचहिं बास केर डलबा बनायल ताहिपर राखल दुइभ धान हे माँ
लालहिं रंग के चुनरिया मँगायल ताहिपर सजल तारा चान हे माँ
कलशा बैसा कऽ पाठ नित दिन करैत रही, तैयो नै भेल किए मोह हे माँ
कलशा उठाई कोना करब विदाई, धरब कोना आइ हम धीर हे माँ
कोना सहब माइ हम तोर जुदाई, बहै दुनू नैना सँ नीर बे माँ
मन केर दुख जननी तोरा कहैत रही, एक बेर आबि लऽ ले टोह गे माँ
कानै ठौ जैनती आ फूल अरहूल, सुनि ले ने मनीष के पुकार हे माँ
टुअर पुत्र हेतौ माए बिन लिलोह, दऽ दे ने अमित के दुलार गे माँ
विलखि विलखि पूरा दुनिया कहै छौ, होइ छौ ने किए तोरा मोह गे माँ
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