बाल कविता-232
पसरल कतेक रंग
बाध-बोन गाछी-बिरछीमे,
पसरल बौआ कतेक रंग ।
भौरा, बिढ़नी तितली खेलै
नवका नवका फूलक संग ।।
पीयर तोड़ी खूब हँसैए
हरियर मकइ-गहूमपर ।
उज्जर मज्जर चौल करैए
चतरल खैनीक जुमपर ।।
पंडित बाबा ध्यान लगौने
ललकी फूल अरहुलपर ।।
बड़की काकी नजरि गड़ौने
बैगनी भाँटा फूलपर ।।
कारी जामुन मुँहमे जाइते
जीउ करैए नीले रंग ।।
इन्द्रधनुषक सात रंगसँ
सजि गेल धरतीक अंग ।।
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