Bal kavita_231
कृष्ण कन्हैया
कृष्ण कन्हैया रास रचैया
माखन-मिश्री लाउ कने
खेल करै लए गोपी संगे
हमरो आंगन आउ कने
मारि गुलेंती फोरब मटकी
टोली अपन बनाउ कने
गाय चरेबै भोरे-साँझे
वंशी फेर बजाउ कने
ता थइ ता थइ नाच करब
ग्वाल-बाल संग आउ कने
पोखरिमे जा खूब नहाएब
छुट्टी सरसँ दिआउ कने
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