बाल कविता- 259
आम
किछु खट्टा किछु मिट्ठा आम
लेर चुबै छै लैते नाम
हरियर पीयर नम्हर छोट
छोटकी आँठी गुद्दा मोट
काँच छलै त' चटनी भेल
ओगरैमे बड खटनी भेल
पाकि गेलै त' अमरित सन
दूरहिंसँ ललचाबय मन
फ'लक राजा बनलै आम
किछु बिज्जू किछु कलमी आम
ठेठ देहाती अंदाज़ में बेहतरीन कविता
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