5.55 भोर
धरती चमकय कौआ कुचरय किए करैए शोर
शीतल हवा चान पड़ाएल लागय भेलै भोर
ललकी दिनकर उगलै नभपर पसरल खूब इजोर
आलस छूटल काजमे लागल आनंदे चहूँ ओर
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