5.54 मिट्ठू राम
अहींक जातिक बाँकी बहुते
बुधि बिना सभ मुर्ख चपाठ
कोन गुरूसँ शिक्षा ल' क'
अहाँ पढ़ै छी सुन्दर पाठ ?
सीख कत'सँ टाहि मारै छी
राम राम जय सीता राम ?
बाजि दिऔ यौ मिट्ठू राम
नहि पिंजरामे नीक लागैए
अहाँ उड़ै छी नील अकास
मधुर कंठसँ गीत गाबै छी
सिखलौं कत' एहन भास ?
मिरचाइ बहुते नीक लागैए
किए खाइ ने अहाँ आम ?
बाजि दिअ यौ मिट्ठू राम
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