5.45 नित दिन भोरे भोर
सुग्गा-मैना गीत गबैए
लाल-पीयर फूल फुलाइए
ललका सूरज पूब उगैए
नित दिन भोरे-भोर
जीव-जंत सभ झुमि उठैए
धरती नव श्रृंगार रचैए
चान-तरेगण दुबकि रहैए
नित दिन भोरे-भोर
समयक सुइया चलि पड़ैए
नव काज सभ माँथ चढ़ैए
नव शक्तिक संचार करैए
नित दिन भोरे-भोर
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