5.43 माँटिक मोल चुका देब
तीन रंगक प्रिय तिरंगा ,हमर सभक शान बुझू
बाउल सिमेंटक घर ने अपन, घर हिन्दुस्तान बुझू
अपन माँसँ बेसी कर्जा
भारत माँ केर खेने छी
एकर दाना-पानी-वायु
अपन देह लगेने छी
माँटिक मोल चुका देब, अहाँ निज सम्मान बुझू
जे सोचैए देशक विपरीत
दुश्मन तकरा मानि लिअ
जे ने देशक हित चाहैए
नजरमे तकरा आनि लिअ
राष्ट्रधर्मसँ कन्छी काटय, तकरा त' बैमान बुझू
भारत माँ केर वीर पूत छी
अहाँ विकट सेनानी छी
ऊँच गगनमे उड़य तिरंगा
तकरे त' अभियानी छी
देश प्रेमसँ पैघ ने किछुओ, अहाँ से विज्ञान बुझू
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