5.42 गंगामे डुबकी लगेबै
जतेक बेर गंगामे डुबकी लगेबै
ततेक बेर तिलबा बाबीसँ लेबै
तिल केर जारनिकेँ घूरा बना क'
भोरे भोरे अपन देह गरमेबै
सोन्हर मनभावन जे मिठका चुरलाइ छै
खाएबा बेर दाँत बला केवल अगुआइ छै
मूसा जकाँ हम काटब हबक्का
भोरेसँ चुरलाइ नुका हम खेबै
जतेक बेर गंगामे डुबकी लगेबै
छल्हिगर चूड़ा दही संग गुड़ मिठाइ छै
तिल चाउर गुड़ फेर गोसांई घर जाइ छै
बाबी बाबा मम्मी पापासँ तिल ल'
बहबै सभ दिन से सप्पत खेबै
जतेक बेर गंगामे डुबकी लगेबै
खिचड़ी संग घीउ दही पापड़ अचार छै
उपजा केर एहि उत्सवमे एतबे सचार छै
तिलासंक्रांति केर दुपहरमे कसि क'
गोलू आ गुड़िया संग गुड्डी उड़ेबै
जतेक बेर गंगामे डुबकी लगेबै
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