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गुरुवार, 31 जनवरी 2013
*माहिया*
एकटा नव विधा
*माहिया*
1.
नैनक चललै खंजर
घायल भेलै मन
प्रेमी बनलौं तोहर
2.सागर कहलक हमरा
हुनकर नोरे छी
ई दर्द कहब ककरा
3.दीया सन जड़बै हम
विरह जखन एतै
तेलक बिनु मरबै हम
4.चिट्ठी हुनकर एलै
हम पढ़बै कोना
लाजसँ अधर ललेलै
5.ई भोर कते बढ़ियाँ
रौद लऽ कऽ प्रेमक
एलै नभ बनि बनियाँ
अमित मिश्र
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