कुछ हाइकु
1.घना कोहरा
भ्रष्टाचार का छाया
कलयुग मेँ ।
2.श्रृंगार रस
रचना कठिन है
पतझड़ में ।
3.पागल भौंरा
बसंत मेँ हो जाता
फूलोँ के लिए ।
4.दिवानी मीरा
वन वन ढ़ूँढ़े है
वंशी की धुन ।
5.काँपता रूह
वक्त जब बढ़ता
इन्तजार का ।
अमित मिश्र
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