शारदे माँ शरणमे छी आयल ,कने नैन खोलियौ ,दया दृष्टी करियौ
हम पूत अहाँ मोर जननी
तैयो लागल जीवन भरि कननी
जागू-जागू भोर माँ भेलै ,कने नैना .. . . . .
श्वेत साड़ी श्वेत हंसक सिंहासन
श्वेत कमलक बनल अछि आसन
हाथ विणाक स्वर सुनैयौ ,कने नैना . . . . . . .
ज्ञान बिनु हम अज्ञानी बनल छी
माँ कखनसँ चरणमे पड़ल छी
ज्ञानक भीख दऽ झोरी भरियौ ,कने नैना खोलियौ . . . . .
अमित मिश्र
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