बाल कविता-45
राति दिवालीक
कारी-कारी राति डेराओन
मुदा चमकि गेल दीप हजार
मच्छर झड़काबैत हुक्का-पाती
स्वाहा भेल कुरीतक संसार
पाड़ल अरिपन माँझ आँगन
राँगल देबाल, चौकठि, केबार
पुरना झगड़ापर पड़ल गर्दा
भेलै नव जीवनक संचार
मधुर-मिठाइ, पूजा पाठमे
लागल सभक घर-परिवार
संग चुन्नू-मुन्नू, मुन्ना-टुन्ना
लगा देलक फटक्काक पथार
राति दिवालीक सब दिन आबै
सब दिन सजै मस्तीक बजार
सब दिन आबथि लक्ष्मी मैया
सब दिन राखब खोलि केबार
अमित मिश्र
राति दिवालीक
कारी-कारी राति डेराओन
मुदा चमकि गेल दीप हजार
मच्छर झड़काबैत हुक्का-पाती
स्वाहा भेल कुरीतक संसार
पाड़ल अरिपन माँझ आँगन
राँगल देबाल, चौकठि, केबार
पुरना झगड़ापर पड़ल गर्दा
भेलै नव जीवनक संचार
मधुर-मिठाइ, पूजा पाठमे
लागल सभक घर-परिवार
संग चुन्नू-मुन्नू, मुन्ना-टुन्ना
लगा देलक फटक्काक पथार
राति दिवालीक सब दिन आबै
सब दिन सजै मस्तीक बजार
सब दिन आबथि लक्ष्मी मैया
सब दिन राखब खोलि केबार
अमित मिश्र
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें