बाल कविता-38
मायावी देश
बाप रे बाप केहन छै विचित्र भेष
जानि नै कोना गेलौं मायावी देश
घास बड पैघ आ आमक गाछ छोट
पाकरि-पीपर दुब्बर, बाँस बड मोट
माँछ उड़ै लाल आकाशमे छत्ता तानि
घर कौआ-मैनाक छै गहिंरगर पानि
गाय-मंहिस बाजै झाँउ-झाँउ-झाँउ
शेर-बाघ गाबै म्याँउ-म्याँउ-म्याँउ
खाइ कुकुर-नढ़िया हरियर घास-पात
हिरण-खरहा चूसै छै मांसल गात
किओ अदृश्य भऽ गाबै गीत-नाद
नभसँ थपरी बाजै गीतक बाद
मनुखक देहपर छल पाँखिक झाँग
तितली-माँछी दौड़ै लऽ जोड़ा टाँग
बिनु बरदक दौड़ल जाए बरदगाड़ी
लागल मारि देत ढाही कोनो पारी
मोन चेहा उठलै आ घैल फूटल
भोर होइते विचित्र सपना टूटल
अमित मिश्र
मायावी देश
बाप रे बाप केहन छै विचित्र भेष
जानि नै कोना गेलौं मायावी देश
घास बड पैघ आ आमक गाछ छोट
पाकरि-पीपर दुब्बर, बाँस बड मोट
माँछ उड़ै लाल आकाशमे छत्ता तानि
घर कौआ-मैनाक छै गहिंरगर पानि
गाय-मंहिस बाजै झाँउ-झाँउ-झाँउ
शेर-बाघ गाबै म्याँउ-म्याँउ-म्याँउ
खाइ कुकुर-नढ़िया हरियर घास-पात
हिरण-खरहा चूसै छै मांसल गात
किओ अदृश्य भऽ गाबै गीत-नाद
नभसँ थपरी बाजै गीतक बाद
मनुखक देहपर छल पाँखिक झाँग
तितली-माँछी दौड़ै लऽ जोड़ा टाँग
बिनु बरदक दौड़ल जाए बरदगाड़ी
लागल मारि देत ढाही कोनो पारी
मोन चेहा उठलै आ घैल फूटल
भोर होइते विचित्र सपना टूटल
अमित मिश्र
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