5.39 मीठ कहू यौ बौआ सभ
अपन ठोरपर मुस्की सदिखन
दैत रहू यौ बौआ सभ
मोन मोहै लए सभक सदिखन
मीठ कहू यौ बौआ सभ
नदी बाट बनबै छै अपन
रोक-टोक केर नै छै डर
फूल सुगंधी पठा रहल छै
बिना फिकिरकेँ चारू भर
हवा बहैए जहिना सदिखन
अहूँ बहू यौ बौआ सभ
मोन मोहै लए.............
ऊँच गाछपर देखियौ चुट्टी
खसैत-पड़ैत चढ़लै एक दिन
बढ़िते रहल से आगू भेलै
पछुएलै जे पड़लै नीन
जीवन पथपर कछुआ बनि क'
चलैत रहू यौ बौआ सभ
मोन मोहै लए.................
कर्म थिकै भगवान जगतमे
कर्म करब से ध्यान धरू
मन टाँगल हो सदा लक्ष्यपर
एहने सन अभियान करू
मनुख महान बनै लए सुख संग
दुख सहू यौ बौआ सभ
मोन मोहै लए...................
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