5.38 परम पिता केर संतान
हमरा देलनि तन आ प्राण
परम पिता केर हम संतान
ई उपकार ने बिसरी कहियो
नित्तहिं करी हुनक गुणगान
बाट चलै लए दू टा पैर
काज करै लए दुनू हाथ
आँखि देखै, सुंघै लए नाक
बात सोचै लए देलनि माँथ
मुँहसँ करी ने ककरो निंदा
गलत बातपर दी ने कान
रचल चराचर जीव जगतकेँ
सुग्गा- मैना बकरी गाय
हमरा सभक ध्यान रखै लए
रचलनि इश्वर बाबू माय
हुनके हम, सम्मान करी नित
नित्तहिं भोर धरी हम ध्यान
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