5.40 बाजयसँ पहिने जोखि लिअ
एकहक टा आखरकेँ अहाँ
बाजयसँ पहिने जोखि लिअ
अनकर मन जे ठेस लगाबय
एहन बात सब सोखि लिअ
बंदूकसँ निकलल एक गोली
घुरि पुनः नै आबैए
बीत गेल जे समय एक बेर
फेर घुरि नै पाबैए
बादमे लाज ने पछतावा हो
से सभ पहिने सोचि लिअ
अनकर मन जे........
सभ ठाम मान दियाबै बोली
सगरो शान बढ़ाबैए
इएह बोली जे एकहिं क्षणमे
सभसँ मारि खुआबैए
घात करय से बातकेँ झट द'
अपने मनमे रोकि लिअ
अनकर मन.............
बाबन अक्षर मिला क' देखू
भाषा अपन बनाबैए
एकरे बलपर मानव मन केर
सभटा भाव बताबैए
नीक भाव जँ बता सकी त'
झट द' ककरो टोकि लिअ
अनकर मन.........
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